सुधार कौन कर सकता है?

 

जब हज़रत मौलाना उबैदुल्लाह सिंधी रहिमहुल्लाह ने दिल्ली में इदारत अल- मारिफ़ की स्थापना की, उस समय वह थाना भवन आये और आ कर कहा कि मैं अल्लामा शिबली नोमानी से मिला। मैंने उनसे यह पूछा आपके मन में कौम (राष्ट्र) के सुधार की क्या योजना है?" 

अल्लामा शिबली ने कहा कि "राष्ट्र का सुधार केवल वही कर सकता है जिसका राष्ट्र पर स्थायी प्रभाव हो



 और यह प्रभाव पवित्रता के बिना स्थिर नहीं हो सकता और पवित्रता बिना तकवा (अल्लाह से डरना) और प्रचुर इबादत के बिना नहीं हो सकता। और प्रचुर इबादत अल्लाह को ज्यादा से ज्यादा याद किए बिना नहीं हो सकता।

यह अल्लामा शिबली की राय है, जो एक महान प्रर्वतक हैं। इसी नवीनता के कारण उन्होंने लखनऊ में नदवतुल उलमा की स्थापना की और अन्य लोगों से



 भिन्न दृष्टिकोण अपनाते हुए ये सभी कार्य किये,

लेकिन राय यह है कि राष्ट्र का सुधार वही लोग कर सकते हैं जिनमें पवित्रता हो, जिनमें पवित्रता हो, पवित्रता हो। , अल्लाह की याद, इबादत और इस पवित्रता का असर यह होता है कि लोग और कौम के दिलों में ईमान पैदा हो जाता है



ये बात उन्होंने बहुत अनुभव से कही है. जहां भी लोगों का सुधार हुआ है, वह उन्हीं लोगों ने किया है, जिनके कर्म सही हैं, अन्यथा चाहे कितना भी बड़ा शोधकर्ता, विद्वान हो या कितने ही भाषण दे, सब हवा में उड़ जाते हैं।

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