सहाबी के एलान पर जानवरों का जंगल खाली करना
50 हिजरी है, और हज़रत अमीर मुआविया (अल्लाह उन से प्रसन्न हो) शासक हैं। पिछले ख़लीफ़ाओं की तरह, इस्लामी विजय का विस्तार हो रहा है। हज़रत मुआविया (अल्लाह उन से प्रसन्न हो) ने हज़रत उकबा बिन नाफे को अफ्रीका पर चढ़ाई करने का आदेश दिया। हज़रत उकबा ने अफ़्रीका में विजय प्राप्त की। जब वे क़ैरवान पहुँचे तो वहाँ एक विशाल और भयानक जंगल के अलावा कुछ भी नहीं था। वह खतरनाक जानवरों, जहरीले सांपों और जंगली जानवरों का निवास स्थान था, इंसानों के लिए वहां से गुजरना लगभग असंभव था। वर्षों तक जानवरों से लड़ने के बाद आबादी की संभावना थी। मगर हजरत उकबा ने क़ैरवान को इस्लामिक शहर के रूप में बसाने का फैसला किया था।
अतः उन्होंने ने क़ैरवान की सीमाओं और क्षेत्र का एक नक्शा तैयार किया और अल्लाह ताला से प्रार्थना किया और उस भूमि पर खड़े होकर तीन बार जोर से घोषणा की:
یااھل الوادی انا داخلون فیھا انشاءاللہ تعالیٰ فاظعنوا
"हे जंगल के निवासियों! अब हम मुसलमान इसमें प्रवेश करना चाहते हैं। इंशाल्लाह। इसलिए आप सभी चले जाएँ।" आवाज़ क्या थी, बिजली की कड़क थी। इस घोषणा का काफी असर हुआ। लोगों ने देखा कि बड़े- बड़े डरावने जानवर और विषैले साँप अपने बच्चों को ले कर भाग रहे थे और वे हर बिल और पत्थर के नीचे से निकल रहे हैं। पुरा क्षेत्र खाली हो गया।
जब हज़रत उक़बा (अल्लाह उन से प्रसन्न हो) ने देखा कि मैदान अब पूरी तरह से खाली हो गया है, तो उन्होंने लोगों को अल्लाह का नाम लेकर आने का आदेश दिया। अत: उनके निर्देश व आदेश पर क़ैरवान बसा। प्रमुख गैर- मुस्लिम इतिहासकार आज हज़रत उक़बा को क़ैरवान के संस्थापक के रूप में जानते हैं। हज़रत उक़बाह (अल्लाह उन से प्रसन्न हो) अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के समय एक बच्चे थे। नबी का साथ नहीं पाये। वह अफ़्रीका में शहीद हो गये। इस अद्भुत घटना को देखकर बहुत सारे लोग (जमे गफ़िर) मुसलमान बन गया।