अल- हाफ़िज़ जमाल उद्दीन- अबुल फ़रज़ अब्दुर्र- रहमान इब्न अल- जवज़ी अल- कुर्शी अल- बगदादी, इश्वर उने शान्ति प्रदान करे (मृ 597 हि०) लिखते हैं।
इमाम शाफ़ाई से बयान किया गया है कि :
"जब आप एक आदमी को देखते हैं जिसकी अंगूठी बड़ी है और उसका नगिना छोटा है, तो यह आदमी बुद्धिमान है, और जब आप देखते हैं कि उसकी चांदी कम है और उसका नगीना बड़ा है, तो यह मनुष्य नम्र है, और जब तुम देखो कि मुंशी की कलम उसके बायीं ओर है, तो वह मुंशी नहीं है, और यदि कलम उसके दाहिनी ओर है और कलम उसके कान पर है, तो वह मुंशी है।
दोनों बुजुर्गों (वरिष्ठजनों) से मुलाकात की शर्तें
हज़रत अली बिन अबी तालिब (अल्लाह उन से राज़ी हो) ने उमर बिन खत्ताब (अल्लाह उन से राज़ी हो) से कहा। "यदि आप अपने दो बुजुर्गों, पैगंबर ﷺ और अबू बक्र रजी अल्लाहू अन्हू से मिलना चाहते हैं, तो अपने कपड़े में एक पेवंद लगाएं और अपना जूता खुद गांठें और उम्मीद छोटा करें और भुख से कम खाएं।"