हज़रत इमाम अहमद बिन हनबल (अल्लाह उन पर रहम करे) के मन में हज़रत इमाम शाफ़ई (अल्लाह उन पर रहम करे) के प्रति बहुत श्रद्धा और प्रशंसा थी और वह हमेशा उनके लिए बहुत सम्मान रखता था। इमाम शाफ़ई जब सवारी कर रहे होते तो वे उनके पीछे-पीछे चलते थे और उनसे प्रश्न पूछते थे।
उनका बयान है कि मैंने तीस साल से कोई ऐसी नमाज़ नहीं अदा की जिसमें मैंने इमाम शाफ़ई के लिए दुआ न मांगी हो। (अल्बादय वा निहाया)