एक बार हारुन अल- रशीद का एक बेटा गुस्से से भरा हुआ अपने पिता के पास आया और बोला, "एक सैनिक के बेटे ने मुझे मां की गाली दी।"
हारून अल- रशीद ने दरबारियों से पूछा कि ऐसे आदमी को क्या सजा दी जानी चाहिए। एक ने जीभ काटने की सजा का सुझाव दिया, और दूसरे ने संपत्ति जब्त करने और निर्वासन का सुझाव दिया, और एक ने उसे मारने का सुझाव दिया। हारून अल- रशीद ने अपने बेटे को संबोधित किया और कहा, हे बेटे! यदि आप उसे माफ कर सकते हैं, तो कृपया उसे माफ कर दें, और यदि आप नहीं कर सकते, तो उसे भी मां की गाली दें, पर ध्यान रखना के हद से आगे नहीं निकल जाना।
बुद्धिमान व्यक्ति के अनुसार इंसान वह नहीं है जो नशे में धुत्त हाथी से लड़ता है, बल्कि इंसान वह है जो गुस्से में आकर कहर नहीं बरपाता है।
(हिकायत (कहानी) सादी)