इहजाब के युद्ध में, हज़रत जाबिर (अल्लाह उन से राजी हो) ने पवित्र पैगंबर (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ) को आमंत्रित किया और उनकी उपस्थिति में एक बकरी जबह की। हुजूर जब अपने साथियों के साथ जाबिर के घर पहुँचे तो जाबिर ने खाना उनके सामने रख दिया। खाना थोड़ा सा था और खाने वाले बहुत सारे लोग।
पैगम्बर ने कहा, कुछ लोग आओ और खाना खाओ, इस प्रकार सभों ने बारी-बारी से खाना खाया। हुजूर
ने पहले ही फरमाया था कि कोई भी मांस की हडडी को न तोड़े और न ही फेंके, सबको एक जगह रखें। जब सब खाना खा चुके तो आप ने हुकुम दिया छोटी-मोटी सब हडिडयां जमा करो।
वे इकट्ठे हुए तो आपने उन पर अपना मुबारक हाथ हडिडयों के उपर रखा और कुछ पढ़ा,
आपके आशीर्वाद से वे हड्डियाँ कुछ बनने लगीं अभी आप का हाथ हडिडयों के उपर ही थी कि वह बकरी
कान झाड़ते हुए खड़ी हो गई। पैगम्बर साहब ने कहा- जाबिर अपनी बकरी ले जा!
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