एक दिन यात्रा के अवसर पर पवित्र पैगंबर (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने हज़रत उसामा से कहा, हे उसामा! नित्य कर्म के लिए पर्दे की कोई जगह है? उसामा रजी अल्लाहु अन्हू ने जवाब दिया, सहाबा का लश्कर हुजूर दुर-दुर तक ठहरा हुआ है, श्रीमान के योग्य तो यहां आसपास कोई स्थान नहीं मिलता।
यह सुन कर हुजूर ने फरमाया देख ओसामा! ये खजूर के पेड़ जो दूर-दूर खड़े दिखाई देते हैं और ये पहाड़ी पत्थर जो दूर खड़े दिखाई देते हैं, उन्हें आदेश दो कि अल्लाह के दूत कहते हैं तुम सब एकजुट हो जाओ और पत्थरों बीच में एक दीवार बनाओ। पवित्र पैगंबर तुम्हारे पिछे नित्य कर्म करेंगे।
हज़रत ओसामा (रज़िअल्लाहु अन्हु) कहते हैं कि मैं पैगम्बर (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) का यह सन्देश लेकर पेड़ों और पत्थरों के पास गया। जैसे ही वे पवित्र पैगंबर का आदेश सुने, खजुर के पेड़ तुरंत एक साथ जुड़ गए और पेड़ों के बीच की खाली जगह में पत्थरों ने एकत्र होकर दीवार बनाई। जब हुजू़र (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) फारिग हुए। तो उन्हों ने कहा। ओसामा! उन्हें यह बताओ कि वे सभी अपने-अपने स्थान पर लौट जाएं। यह सुनकर हज़रत ओसामा ने इशारा किया। पत्थर, पेड़ सब अलग होकर अपनी-अपनी जगह पर चले गये। सुबहान अल्लाह, उस नबी की जो पूरी दुनिया पर शासन करता है, हम पापियों का प्रेमी और हम ज़ालिमों का शैदाई बनाया। उम्मत के दुःख ने उन्हें रात में रुलाया। हमारी चिंता ने उन्हें बहुत जगाया और कम सुलाया।
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